जूझ Class 12th Hindi Chapter 2nd- ( वितान ) Vitan- Easy Summary And Question Answer

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जूझ – आनंद यादव

पाठ का सारांश–( Class 12 Vitan Chapter 2जूझ)

यह पाठ लेखक के बहुचर्चित आत्मकथात्मक उपन्यास अंश का है। यह एक किशोर के देखे और हुए गँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ और उसके रंगारंग परिवेश की मजेदार और विश्वसनीय जीवंत भोगे गाथा है। इस आत्मकथात्मक उपन्यास में निम्न मध्य वर्गीय मराठी कृषक जीवन की अनूठी झाँकी प्रस्तुत हुई है। इस अंश में हर स्थिति में पढ़ने की लालसा लिए धीरे-धीरे साहित्य, संगीत और अन्य विषयों की ओर बढ़ते किशोर के कदमों की आकुल आहट सुनी जा सकती है। लेखक के पिता ने उसे पाठशाला जाने से रोक दिया तथा खेती के काम में लगा दिया। उसका मन पाठशाला जाने के लिए तड़पता था परंतु वह पिता से कुछ कहने की हिम्मत नहीं रखता था। उसे पिटाई का डर था। उसे विश्वास था कि खेती से कुछ नहीं मिलने वाला क्योंकि क्रमश: इससे मिलनेवाला लाभ घट रहा है। पढ़ने के बाद नौकरी लगने पर उसके पास कुछ पैसे आ जाएँगे। दीवाली के बाद ईख पेरने के लिए कोल्हू चलाया जाता था क्योंकि उसके पिता को सबसे पहले गुड़ बेचना होता था ताकि अधिक कीमत मिल सके। हालाँकि पहले ईख काटने से उसमें रस कम निकलता था। इस वर्ष भी लेखक के पिता ने जल्दी कार्य शुरू किया। अतः ईख पेरने का काम सबसे पहले संपन्न हो गया। एक दिन लेखक धूप में कंडे थाप रही थी और वह बाल्टी में पानी भर-भरकर उसे दे रहा था। अच्छा मौका देखकर लेखक ने माँ से पढ़ाई की बात की माँ ने अपनी लाचारी प्रकट करते हुए कहा कि तेरी पढ़ाई-लिखाई की बात करने पर वह बरहेला सुअर की तरह गुर्राता है। लेखक ने सुझाव दिया कि वह दत्ता जी राव सरकार से उसकी पढ़ाई के बारे में बात करे। माँ तैयार हो गई। वह बच्चे की तड़पन समझती थी।

अतः रात को लेखक की पढ़ाई के संबंध में बात करने के लिए दत्ता जी राव देसाई के पास गई और उनसे सारी बात बताई। उसने यह भी बताया कि दादा सारे दिन बाजार में रखमाबाई के पास गुजार देता है। वह खेती का काम नहीं करता। उसने बच्चे की पढ़ाई इसलिए बंद कर दी ताकि वह सारे गाँव भर में आजादी के साथ घूमता रहे। यह बात सुनकर देसाई चिढ़ गए। चलते-चलते लेखक ने यह भी कहा कि यदि वह अब भी कक्षा में पढ़ने लगे तो दो महीने में पाँचवीं पास कर लेगा और इस तरह उसका साल बच जाएगा। पहले ही उसका एक साल खराब हो चुका था। राव ने लेखक से कहा कि घर आने पर दादा को मेरे पास भेज देना और घड़ी भर बाद तुम भी आ जाना। माँ-बेटा ने राव को सचेत किया कि हमारे आने की बात उसे मत बताना। राव ने उन्हें निर्भय होकर जाने को कहा। रात को दादा घर पर मालिक दिखाई नहीं दिया। खेत से आ जाने पर इधर भेजना।

यह सुनकर दादा सम्मान की बात समझकर तुरंत चला गया। आधा घंटे बाद लेखक उन्हें खाने के लिए बुलाने चला गया। राव ने लेखक से पूछा कि कौन-सी कक्षा में पढता है रे तू ? लेखक ने बताया कि वह पाँचवीं में था, पर अब स्कूल नहीं जाता क्योंकि दादा ने मना कर दिया। उन्हें खेतों में पानी लगाने वाला चाहिए था। राव ने दादा से पूछा तो उसने लेखक के कथन को स्वीकार कर लिया। देसाई ने दादा को खूब फटकार लगाई और कहा कि तुम्हारा ध्यान खेती में नहीं है। बीवी-बच्चों को खेत में जोतकर खुले सॉइ की तरह घूमता है तथा अपनी मस्ती के लिए लड़के के जीवन की बलि चढ़ा रहा है। उसने लेखक को कहा कि तू सवेरे पाठशाला जा तथा मन लगाकर पढ़। यदि यह मना करे तो मेरे पास आना। मैं तुझे पढ़ाऊँगा । लेखक के पिता ने उस पर गलत आदतों का आरोप लगाया-कंडे बेचना, चारा बेचना, सिनेमा देखना या जुआ खेलना, खेती व घर के काम पर ध्यान न देना आदि। लेखक ने अपने उत्तर से उन्हें संतुष्ट कर दिया ।

देसाई ने पूछा कि कभी नापास तो नहीं हुआ । लेखक के मना करने पर उसे पाठशाला जाने का आदेश देकर घर भेज दिया। बाद में उसने रतनाप्पा को समझाया। दादा ने भी पाठशाला भेजने की हामी भर दी। घर आकर दादा ने लेखक से यह वचन ले लिया कि दिन निकलते ही खेत पर जाना और वहीं से पाठशाला पहुँचना। पाठशाला से छुट्टी होते ही घर में बस्ता रखकर सीधे खेत पर आकर घंटा भर ढोर चराना और खेतों में ज्यादा काम होने पर पाठशाला से गैर-हाजिर रहना होगा। लेखक ने सभी शर्ते स्वीकार कर ली। लेखक पाँचवीं कक्षा में जाकर बैठने लगा। कक्षा के दो लड़कों को छोड़कर सभी नए बच्चे थे। वह बाहरी अपरिचित जैसा एक बेंच के एक सिरे पर कोने में जा बैठा। वह पुरानी किताबों को ही थैले में भर लाया। कक्षा के शरारती लड़के ने उसका मजाक उड़ाया और उसका गमछा छीनकर मास्टर की मेज पर रख दिया। फिर उसे सिर पर लपेटकर मास्टर की नकल उतारनी शुरू की। तभी मास्टर जी आ गए। लेखक ने उसे सब कुछ बता दिया। बीच की छुट्टी में लड़कों ने उसकी धोती खोलने की कोशिश की परंतु असफल रहे। वे उसे तरह-तरह से परेशान करते रहे। उसका मन उदास हो गया। उसने माँ से नयी टोपी व दो नाड़ी वाली चड्ढी मैलखाऊ रंग की मँगवा ली। धीरे-धीरे लड़कों से परिचय बढ़ गया। मंत्री नामक मास्टर आए । वे छड़ी का उपयोग नहीं करते थे। वे लड़के की पीठ पर घूसा लगाते थे। शरारती लड़के उनसे बहुत डरते थे। वे गणित पढ़ाते थे।

इस कक्षा में वसंत पाटील नाम का कमजोर शरीर वाला व होशियार लड़का था। वह शांत स्वभाव का था तथा हमेशा पढ़ने में लगा रहता था। मास्टर ने उसे कक्षा मॉनीटर बना दिया था। लेखक भी उसकी तरह पढ़ने में लगा रहा। वह अपनी कापी-किताबों को व्यवस्थित रखने लगा। शीघ्र ही वह गणित में होशियार हो गया। दोनों में दोस्ती हो गई। मास्टर लेखक को आनंदा कहने लगे। अब उसका मन पाठशाला में लगने लगा। न०वा० सौंदलगेकर मास्टर मराठी पढ़ाते थे। पढ़ाते समय वे स्वयं रम जाते थे। सुरीले कंठ, छद व रसिकता के कारण वे कविता बहुत अच्छी पढ़ाते थे। उन्हें मराठी व अंग्रेजी की अनेक कविताएँ याद थीं। वे कविता के साथ ऐसे जुड़े थे कि अभिनय करके भावबोध कराते थे। वे स्वयं भी कविता रचते थे। लेखक उनसे बहुत प्रभावित था। खेत पर पानी लगाते समय या ढोर चराते समय वह मास्टर के अनुसार ही कविताएँ गाता था। वह उन्हीं की तरह अभिनय करता । उसी समय उसे अनुभव हुआ कि अन्य कविताएँ भी इसी तरह पढ़ी जा सकती हैं। लेखक को महसूस हुआ कि पहले जिस काम को करते हुए उसे अकेलापन खटकता था, अब वह समाप्त हो गया। उसे एकांत अच्छा लगने लगा। एकांत के कारण वह ऊँचे स्वर में कविता गा सकता था नृत्य कर सकता था। उसने कविता गाने की अपनी पद्धति विकसित की। वह अभिनय के साथ गाने लगा तथा अब उसके चेहरे पर कविता के भाव आने लगे। मास्टर को लेखक का गायन अच्छा लगा और उससे छठी सातवीं कक्षा के बालकों के सामने गवाया। पाठशाला के एक समारोह में भी उससे गवाया। मास्टर स्वयं कविता रचते थे। उनके पास मराठी कवियों के काव्य-संग्रह थे। वे उन कवियों के संस्मरण भी सुनाते थे। इस कारण अब वे कवि उसे आदमी लगने लगे थे।

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सौंदलगेकर स्वयं कवि थे। इस कारण लेखक को यह विश्वास हुआ कि कवि भी उसकी तरह ही हाड़-मांस का व क्रोध-लोभ का मनुष्य होता है। लेखक को लगा कि वह स्वयं भी कविता कर सकता है। मास्टर ने अपने दरवाजे पर छाई हुई मालती की बेल पर एक कविता लिखी। लेखक ने मालती लता व कविता दोनों ही देखी थी। इससे उसे लगा कि वह अपने आस-पास, अपने गाँव खेतों आदि पर कविता बना सकता है।

भैंस चराते चराते वह फसलों व जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। वह उन्हें जोर से गुनगुनाता तथा मास्टर को दिखाता। कविता लिखने के लिए वह कागज व पेंसिल रखने लगा। उनके न होने पर वह लकड़ी के छोटे टुकड़े से भैंस की पीठ पर रेखा खींचकर लिखता या पत्थर की शिला पर कंकड़ से लिख लेता। कंठस्थ हो जाने पर उसे पोंछ देता। वह अपनी कविता मास्टर को दिखाता था। कभी-कभी वह रात को ही मास्टर के घर जाकर कविता दिखाता। वे उसे कविता के शास्त्र के बारे में समझाते। वे उसे छद अलंकार, शुद्ध लेखन, लय का ज्ञान कराते। वे उसे पुस्तकें व कविता-संग्रह भी देते थे। उन्होंने उसे कविता रचने के अनेक ढर्रे सिखाए। शब्दों का महत्व एवं उसका उचित प्रयोग जल्दी ही उसकी समझ में आने लगा। इस प्रकार लेखक को मास्टर की निकटता मिलती गई और उसकी मराठी भाषा में सुधार आने लगा।

बहुविकल्पी प्रश्न–

प्र-1 ‘जूझ’ शब्द का अर्थ है-

(क) यातना
(ख) संघर्ष
(ग) विराम
(घ) मेहनत

प्र-2 ‘जूझ’ पाठ में लेखक अपनी पढ़ाई के विषय में किससे कहता है?

(क) अपने पिता से
(ख) दत्ताजी राव से
(ग) अपनी माँ से
(घ) सौन्दलगेकर से

प्र 3 जूझ’ पाठ में लेखक को कक्षा में किसका साथ मिलता है?

(क) बसंत पाटिल का
(ख) रतनाप्पा का
(ग) मास्टर रणनवरे का
(घ) इनमें से कोई नहीं

प्र-4 न. व सौन्दलगेकर किस विषय के शिक्षक थे?

(क) अंग्रेजी
(ख) हिन्दी
(ग) संस्कृत
(घ) मराठी

प्र-5 बच्चे को शिक्षा देने के विषय में दत्ताजी राव का नजरिया कैसा है?

(क) अनुचित है
(ख) उचित है
(ग) पक्षपातपूर्ण है
(घ) विरोध में है

प्र-6 जूझ कहानी किस शैली में लिखी गई है?

(क) वर्णनात्मक शैली में
(ख) भावात्मक शैली
(ग) उपदेशात्मक शैली में
(घ) आत्मकथात्मक शैली

प्र-7 लेखक की माँ उसे किस कक्षा तक पढ़ाना चाहती थी?

(क) सातवीं
(ख) आठवीं
(ग) पाँचवीं
(घ) आठवीं

प्र-8 लेखक की कक्षा में गणित पढ़ने वाले मास्टर का क्या नाम था?

(क) आनंद
(ख) सौन्दलगेकर
(ग) मंत्री
(घ) दत्ताजी राव

प्र-9 लेखक पहले दिन कक्षा में दीवार से पीठ सटाकर क्यों बैठ गया था?

(क) क्योंकि उसे पढ़ना अच्छा नहीं लगा
(ख) क्योंकि शरारती बच्चे उसकी धोती खोल देते थे
(ग) क्योंकि उसके कपड़े गंदे थे
(घ) क्योंकि उसकी पहचान का कोई बच्चा साथ नहीं था

प्र-10 लेखक को कब लगा कि कवि भी हांड-मांस का बना होता है?

(क) मास्टर स्वयं एक कवि थे
(ख) वे कवियों के संस्मरण सुनाया करते थे
(ग) उनके पास मराठी कवियों के काव्य-संग्रह थे
(घ) इनमें से सभी

उत्तर-

1- (ख) संघर्ष
2 – (ग) अपनी माँ से
3-(क) बसंत पाटिल का
4- (घ) मराठी
5 (ख) उचित है
6-(घ) आत्मकथात्मक शैली
7-(क) सातवीं
8-(ग) मंत्री
9- (ख) क्योंकि शरारती बच्चे उसकी धोती खोल देते थे 10- (घ) इनमें से सभी

Conclusion –( Class 12 Hindi Vitan Chapter 2)

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