Class 12 Hindi Chapter 13 Kale Megha Pani De Summary | Class 12 Hindi Chapter 13 Question and Answer

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प्रतिपादय-

‘काले मेघा पानी दें संस्मरण में लोक-प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का चित्रण किया गया है। विज्ञान का अपना तर्क है और विश्वास का अपना सामर्थ्य। इनकी सार्थकता के विषय में शिक्षित वर्ग असमंजस में है। लेखक ने इसी दुविधा को लेकर पानी के संदर्भ में प्रसंग रचा है। आषाढ़ का पहला पखवाड़ा बीत है। ऐसे में खेती व अन्य कार्यों के लिए पानी न हो तो जीवन चुनौतियों का घर बन चुका जाता है। यदि विज्ञान इन चुनौतियों का निराकरण नहीं कर पाता तो उत्सवधर्मी भारतीय समाज किसी-न- किसी जुगाड़ में लग जाता है, प्रपंच रचता है और हर कीमत पर जीवित रहने के लिए अशिक्षा तथा बेबसी के भीतर से उपाय और काट की खोज करता है।

सारांश-

लेखक बताता है कि जब वर्षा की प्रतीक्षा करते-करते लोगों की हालत खराब हो जाती है तब गाँवों में नंग-धडंग किशोर शोर करते हुए कीचड़ में लोटते हुए गलियों में घूमते हैं। ये दस-बारह वर्ष की आयु होते हैं तथा सिर्फ जाँघिया या लंगोटी पहनकर ‘गंगा मैया की जय’ बोलकर गलियों में चल पड़ते हैं। जयकारा सुनते ही स्त्रियाँ व लड़कियाँ छज्जे व बारजों से झाँकने लगती हैं। इस मंडली को इंदर सेना या मेढक मंडली कहते हैं।

ये पुकार लगाते हैं- काले मेघा पानी दे, पानी दे गुड़धानी दे, गगरी फूटी बैल पियासा, काले मेधा पानी दे ।

जब यह मंडली किसी घर के सामने रुककर पानी की पुकार लगाती थी तो घरों में सहेजकर रखे पानी से इन बच्चों को सर से पैर तक तर कर दिया जाता था। ये भीगे बदन मिट्टी में लोट लगाते तथा कीचड़ में लथपथ हो जाते। यह वह समय होता था जब हर जगह लोग गरमी में भुनकर त्राहि-त्राहि करने लगते थे; कुएँ सूखने लगते थे; नलों में बहुत कम पानी आता था, खेतों की मिट्टी में पपड़ी पड़कर जमीन फटने लगती थी। लू के कारण व्यक्ति बेहोश होने लगते थे। पशु पानी की कमी से मरने लगते थे, लेकिन बारिश का कहीं नामोनिशान नहीं होता था। जब पूजा-पाठ आदि विफल हो जाती थी तो इंदर सेना अंतिम उपाय के तौर पर निकलती थी और इंद्र देवता से पानी की माँग करती थी। लेखक को यह समझ में नहीं आता था कि पानी की कमी के बावजूद लोग घरों में कठिनाई से इकट्ठा किए पानी को इन पर क्यो
फेंकते थे। इस प्रकार के अंधविश्वासों से देश को बहुत नुकसान होता है। अगर यह सेना इंद्र की है तो वह खुद अपने लिए पानी क्यों नहीं माँग लेती ? ऐसे पाखंडों के कारण हम अंग्रेजों से पिछड़ गए तथा उनके गुलाम बन गए।

लेखक स्वयं मेढक मंडली वालों की उमर का था। वह आर्यसमाजी था तथा कुमार-सुधार सभा का उपमंत्री था। उसमें समाजसुधार का जोश ज्यादा था। उसे सबसे ज्यादा मुश्किल अपनी जीजी से थी जो उम्र में उसकी माँ से बड़ी थीं। वे सभी रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा अनुष्ठानों को लेखक के हाथों पूरा करवाती थीं। जिन अंधविश्वासों को लेखक समाप्त करना चाहता था। वे ये सब कार्य लेखक को पुण्य मिलने के लिए करवाती थीं। जीजी लेखक से इंदर सेना पर पानी फेंकवाने का काम करवाना चाहती थीं। उसने साफ़ मना कर दिया। जीजी ने काँपते हाथ व डगमगाते पाँवों से इंदर सेना पर पानी फेंका। लेखक जीजी से मुँह फुलाए रहा। शाम को उसने जीजी की दी हुई लड्डू-मठरी भी नहीं खाई। पहले उन्होंने गुस्सा दिखाया, फिर उसे गोद में लेकर समझाया। उन्होंने कहा कि यह अंधविश्वास नहीं है।

यदि हम पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैसे देंगे। यह पानी की बरबादी नहीं है। यह पानी का अर्घ्य है। दान में देने पर ही इच्छित वस्तु मिलती है। ऋषियों ने दान को महान बताया है। बिना त्याग के दान नहीं होता। करोड़पति दो-चार रुपये दान में दे दे तो वह त्याग नहीं होता। त्याग वह है जो अपनी जरूरत की चीज को जनकल्याण के लिए दे। ऐसे ही दान का फल मिलता है। लेखक जीजी के तर्कों के आगे पस्त हो गया। फिर भी वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। जीजी ने फिर समझाया कि तू बहुत पढ़ गया है। वह अभी भी अनपढ़ है। किसान भी तीस-चालीस मन गेहूँ उगाने के लिए पाँच-छह सेर अच्छा बोता है। इसी तरह हम अपने घर का पानी इन पर फेंककर बुवाई करते हैं। इसी से शहर, कस्बा, गाँव पर पानी वाले बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघा से पानी माँगते हैं।

ऋषि-मुनियों ने भी यह कहा है कि पहले खुद दो तभी देवता चौगुना करके लौटाएँगे। यह आदमी का आचरण है जिससे सबका आचरण बनता है। यथा राजा तथा प्रजा सच नहीं है। गाँधी जी महाराज भी यही कहते हैं। लेखक कहता है कि यह बात पचास साल पुरानी होने के बावजूद आज भी उसके मन पर दर्ज है। अनेक संदर्भों में ये बातें मन को कचोटती हैं कि हम देश के लिए क्या करते हैं ? हर क्षेत्र में माँगें बड़ी-बड़ी हैं, पर त्याग का कहीं नाम निशान नहीं है। आज स्वार्थ एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम भ्रष्टाचार की बातें करते हैं, परंतु खुद अपनी जाँच नहीं करते। काले मेघ उमड़ते हैं, पानी बरसता है, परंतु गगरी फूटी की फूटी रह जाती है। बैल प्यासे ही रह जाते हैं। यह स्थिति कब बदलेगी, यह कोई नहीं जानता?

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बहुविकल्पी प्रश्न-

प्र-1 लोग बच्चों की टोली को इन्दर सेना या फिर कहते थे?

(क) गायक मंडली
(ख) सेवक मंडली
(ग) मेढ़क मंडली
(घ) वादक मंडली

प्र-2 लेखक बच्चों की टोली में क्यों नहीं शामिल था?

(क) लेखक पानी फेंकने को अन्धविश्वास मानता था
(ख) लेखक को कीचड़ पसंद नहीं था
(ग) इस टोली को लोग गालियाँ देते थे
(घ) जीजी उसे मना करती थीं

प्र 3 लेखक जीजी की हर बात मानता था क्योंकि-

(क) जीजी उसे बहुत मानती थीं और उनके प्राण लेखक में बसते थे (ख) जीजी अन्धविश्वासी थीं
(ग) जीजी उसे खाने के लिए लड्डू-मठरी देती थीं
(घ) जीजी उसे तरह-तरह की कहानियाँ सुनाया करती थीं

प्र-4 जीजी ने अपनी बात कौन-सा उदाहरण देकर सही साबित किया?

(क) किसान और उसकी खेती का
(ख) इंद्र और उसकी सेना का
(ग) बच्चों की टोली का
(घ) पूज-पाठ और धर्म-कर्म का

प्र-5 अंत में लेखक को जीजी की बात कैसी लगी?

(क) फालतू और अतार्किक
(ख) अन्धविश्वास से पूर्ण
(ग) सही और तार्किक
(घ) किसान के पक्ष में

प्र-6 लेखक समाज की किस कुरीति को खत्म करना चाहता था?

(क) अपराध
(ख) भ्रष्टाचार
(ग) अंधविश्वास
(घ) चोरी-डकैती

प्र-7 लेखक बचपन में कुमार-सुधार सभा में किस पद पर था?

(क) सेनापति
(ख) रक्षा मंत्री
(ग) सिपाही
(घ) उपमंत्री

प्र-8 किसान तीस-चालीस मन गेहूँ की फ़सल पाने के लिए क्या करता है?

(क) खेत की रखवाली
(ख) खेतों में पानी देता है
(ग) पशुओं को चारा खिलाता है।
(घ) पाँच-छह सेर गेहूँ बोला है

प्र-9 ऋषि-मुनियों ने जीवन में किस आचरण को अधिक महत्व दिया है?

(क) पहले खुद दो तभी देवता चौगुना करके लौटाएँगे
(ख) पहले अपना भला देखना चाहिए
(ग) दूसरों का ध्यान नहीं रखना चाहिए
(घ) इनमें से कोई नहीं

प्र-10 लेखक के अनुसार गाँधी जी किस बात को सच नहीं मानते थे?

(क) त्याग और आदर्श
(ख) यथा प्रजा तथा राजा
(ग) यथा राजा तथा प्रजा
(घ) चरित्र और संयम

उत्तर-

1 (ग) मेढ़क मंडली
2 (क) लेखक पानी फेंकने को अन्धविश्वास मानता था
3 (क) जीजी उसे मानती थीं और उनके प्राण लेखक में बसते थे
4 (क) किसान और उसकी खेती का
5 (ग) सही और तार्किक
6 (ग) अंधविश्वास
7 (घ) उपमंत्री
8 (घ) पाँच-छह सेर गेहूँ बोता है
9 (क) पहले खुद दो भ देवता चौगुना करके लौटाएँगे
10 (ग) यथा राजा तथा प्रजा

Conclusions-

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