Class 12 Aroh Chapter 14 Pahlwan ke Dholak Summary
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प्रतिपाद्य-
‘पहलवान की ढोलक फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित एक श्रेष्ठ कहानी है। फणीश्वर एक आंचलिक कथाकार माने जाते हैं। प्रस्तुत कहानी उनकी एक आंचलिक कहानी है, जिसमें उन्होंने भारत पर इंडिया के छा जाने की समस्या को प्रतीकात्मक रूप से अभिव्यक्त किया है। यह व्यवस्था बदलने के साथ लोक कला और इसके कलाकार के अप्रासंगिक हो जाने की कहानी है। यह कहानी हमारे समक्ष व्यवस्था की पोल खोलती है। साथ ही व्यवस्था के कारण लोक कलाओं के लुप्त होने की ओर संकेत भी करती है तथा हमारे सामने ऐसे अनेक प्रश्न पैदा करती है कि यह सब क्यों हो रहा है ? प्रस्तुत कहानी की भाषा सरल, सरस व स्वाभाविक बोलचाल की है। इसमें तत्सम तद्भव, उर्दू, फारसी आदि भाषाओं के शब्दों का प्रयोग हुआ है। मुहावरों एवं लोकोक्तियों के प्रयोग से इनकी भाषा में रोचकता उत्पन्न हो गई है। सारांश- श्यामनगर के समीप का एक गाँव सरदी के मौसम में मलेरिया और हैजे से ग्रस्त था। चारों ओर सन्नाटे से युक्त बॉस-फूस की झोंपड़ियाँ खड़ी थीं। रात्रि में घना अंधेरा छाया हुआ था। चारों ओर करुण सिसकियों और कराहने की आवाजें गूंज रही थीं। सियारों और पेचक की भयानक आवाजें इस सन्नाटे को बीच-बीच में अवश्य थोड़ा-सा तोड़ रही थीं। इस भयंकर सन्नाटे में कुत्ते समूह बाँधकर रो रहे थे। रात्रि भीषणता और सन्नाटे से युक्त थी, लेकिन लुट्टन पहलवान की ढोलक इस भीषणता को तोड़ने का प्रयास कर रही थी। इसी पहलवान की ढोलक की आवाज इस भीषण सन्नाटे से युक्त मृत गाँव में संजीवनी शक्ति भरा करती थी।
लुट्टन सिंह के माता-पिता नौ वर्ष की अवस्था में ही उसे छोड़कर चले गए थे। उसकी बचपन में शादी हो चुकी थी, इसलिए विधवा सास ने ही उसका पालन-पोषण किया। ससुराल में पलते-बढ़ते वह पहलवान बन गया था। एक बार श्यामनगर में एक मेला लगा। मेले के दंगल में लुट्टन सिंह ने एक प्रसिद्ध पहलवान चाँद सिंह को चुनौती दे डाली, जो शेर के बच्चे के नाम से जाना जाता था । श्यामनगर के राजा ने बहुत कहने के बाद ही लुट्टन सिंह को उस पहलवान के साथ लड़ने की आज्ञा दी, क्योंकि वह एक बहुत प्रसिद्ध पहलवान था ।
लुट्टन सिंह ने ढोलक की ‘धिना धिना धिकधिना, आवाज से प्रेरित होकर चाँद सिंह पहलवान को बड़ी मेहनत के बाद चित कर दिया। चाँद सिंह के हारने के बाद लुट्टन सिंह की जय-जयकार होने लगी और वह लुट्टन सिंह पहलवान के नाम से प्रसिद्ध हो गया। राजा ने उसकी वीरता से प्रभावित होकर उसे अपने दरबार में रख लिया। अब लुट्टन सिंह की कीर्ति दूर-दूर तक फैल गई। लुट्टन सिंह पहलवान की पनी भी दो पुत्रों को जन्म देकर स्वर्ग सिधार गई थी।
लट्टन सिंह अपने दोनों बेटों को भी पहलवान बनाना चाहता था इसलिए वह बचपन से ही उन्हें कसरत आदि करवाने लग गया। उसने बेटों को दंगल की संस्कृति का पूरा ज्ञान दिया। लेकिन दुर्भाग्य से एक दिन उसके वयोवृद्ध राजा का स्वर्गवास हो गया। तत्पश्चात विलायत से नए महाराज आए। राज्य की गद्दी संभालते ही नए राजा साहब ने अनेक परिवर्तन कर दिए।
दंगल का स्थान घोड़ों की रेस ने ले लिया। बेचारे लुट्टन सिंह पहलवान पर कुठाराघात हुआ। वह प्रभ रह गया। राजा के इस रवैये को देखकर लुट्टन सिंह अपनी ढोलक कंधे में लटकाकर बच्चों सहित अपने गाँव वापस लौट आया। वह गाँव के एक किनारे पर झोपड़ी में रहता हुआ नौजवानों और चरवाहों को कुश्ती सिखाने लगा। गाँव के किसान व खेतिहर मजदूर भला क्या कुश्ती सीखते अचानक गाँव में अनावृष्टि अनाज की कमी, मलेरिया, हैजे आदि भयंकर समस्याओं का वज्रपात हुआ। चारों और लोग भूख हैजे और मलेरिये से मरने लगे। सारे गाँव में तबाही मच गई। लोग इस त्रासदी से इतना डर गए कि सूर्यास्त होते ही अपनी-अपनी झोंपडियों में घुस जाते थे। रात्रि की विभीषिका और सन्नाटे को केवल लट्टन सिंह पहलवान की ढोलक की तान ही ललकारकर चुनौती देती थी। यही तान इस भीषण समय में धैर्य प्रदान करती थी। यहीं तान शक्तिहीन गाँववालों में संजीवनी शक्ति भरने का कार्य करती थी। पहलवान के दोनों बेटे भी इसी भीषण विभीषिका के शिकार हुए। प्रातः होते ही पहलवान ने अपने दोनों बेटों को निस्तेज पाया। बाद में वह अशांत मन से दोनों को उठाकर नदी में बहा आया। लोग इस बात को सुनकर दंग रह गए। इस असह्य वेदना और त्रासदी से भी पहलवान नहीं टूटा। एक दिन गाँव वालों को लूट्टन पहलवान की ढोलक रात में नहीं सुनाई दी। सुबह उसके कुछ शिष्यों ने जाकर देखा तो पहलवान की लाश चित पड़ी हुई थी।
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बहुविकल्पी प्रश्न–
प्र-1 पुरानी और उजड़ी बाँस-फूस की झोपड़ियों में किसका साम्राज्य था ?
(क) भूतों का
(ख) अंधकार और सन्नाटे का
(ग) रात का
(घ) हवा का
प्र-2 किस जानवर में परिस्थितियों को ताइने की विशेष बुद्धि होती है?
(क) बिल्ली
(ख) उल्लू
(ग) कुत्ता
(घ) सियार
प्र 3 मृत गाँव में किसकी आवाज संजीवनी शक्ति भरती रहती थी?
(क) कुत्तों की
(ख) पेचक की
(ग) पहलवान की ढोलक की
(घ) सियारों की
प्र-4 लुट्टन का पालन-पोषण किसने किया?
(क) राजा श्यामानंद ने
(ख) उसकी विधवा सास ने
(ग) गाँव वालों ने
(घ) उसके शिष्यों ने
प्र-5 श्याम नगर के दंगल में लुट्टन ने किसको चुनौती दी ?
(क) चाँद सिंह को
(ख) बादल सिंह को
(ग) श्याम सिंह को
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्र-6 चाँद सिंह के गुरु का क्या नाम था ?
(क) काला खां
(ख) पहलवान काका
(ग) श्याम सिंह
(घ) बादल सिंह
प्र-7 लुट्टन पहलवान कितने वर्ष तक राज दरबार का अजेय पहलवान बना रहा?
(क) दस वर्ष तक
(ख) बीस वर्ष तक
(ग) पंद्रह वर्ष तक
(घ) पचीस वर्ष तक
प्र-8 “जीते रहो बहादुर! तुमने मिट्टी की लाज रख ली”- यह कथन किसका है?
(क) चाँद सिंह का
(ख) बादल सिंह का
(ग) लुट्टन सिंह का
(घ) राजा श्यामानंद का
प्र-9 पहलवान की ढोलक’ कहानी किस प्रकार की कहानी है?
(क) राजनीतिक
(ख) आंचलिक
(ग) सामाजिक
(घ) उपदेशात्मक
प्र-10 राजा की मृत्यु के बाद कुश्ती के स्थान पर किस खेल ने जगह ले ली ?
(क) घोड़ों की रेस
(ख) कबड्डी
(ग) फुटबाल
(घ) शतरंज
उत्तर-
1- (ख) अंधकार और सन्नाटे का
2- (ग) कुत्ता
3 (ग) पहलवान की ढोलक की
4-(ख) उसकी विधवा सास ने
5 (क) चाँद सिंह को
6- (घ) बादल सिंह
7- (ग) पंद्रह वर्ष तक
8-(घ) राजा श्यामानंद का
9- (ख) आंचलिक
10-(क) घोड़ों की रेस
Conclusion–
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